राज्यस्तरीय गोमती सागर पशुमेला अब सिर्फ कागजों और भूतकाल की बात ,,,,,,
मेले और पर्व तीज त्योहार हमारी सांस्कृतिक धरोहर है जिन्हें सहेजकर हम भविष्य में आने वाली पीढ़ियों तक ले जाते है ,भारत देश मेलों तीज त्योहारों का देश है लेकिन राज्य के झालावाड ज़िले के झालरापाटन जो कि राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे का निर्वाचन क्षेत्र है जहाँ से विजयो होकर वे दो बार मुख्यमंत्री रही है ,का रियासतकालीन राज्यस्तरीय गोमती सागर पशु मेला आज पशुपालन विभाग द्वारा हर वर्ष की भांति फिर अपरिहार्य कारणों से स्थगित कर दिया गया। पिछले 20 सालो से लगातार यह मेला यू ही स्थगित किया जाता रहा है और बहाना तेज गर्मी और पेयजल की कमी ,,,,,लेकिन यह कोई वास्तविक कारण नही है क्योंकि हर वर्ष पेयजल की किल्लत नही होती है कभी कभी ऐसा हो सकता है लेकिन इस मेले का आयोजक पशुपालन विभाग 1957 से इस मेले का आयोजक है पिछले 20 सालों से ही यह स्थगित होने का बहाना किया रहा है जबकि इसके समक्ष असनावर और रायपुर के पास बाला जी का मेला जो कि पंचायत स्तर पर आयोजित होता है जस का तस आयोजित हो रहा है किसान व्यापारी पशुपालक इसमे भाग ले रहे है फिर गोमती सागर मेले काआयोजन क्यो नही हो रहा क्योंकि इसका आयोजक पशुपालन विभाग है जो इस घाटे के सौदे के मेले को आयोजित नही करना चाहता क्योकि ये मेला नागोरी और अन्य नस्लो के बेलो की बिक्री के लिए जाना जाता था ,अब चुकी गो वंश किसी काम नही आ रहे तो मेले में कौन आएगा । गोमती सागर पशु मेला हमारी सांस्कृतिक धरोहर इसे बचाने का प्रयास किया जाना चाहिए और इसके लिए नगरपालिका को आगे आना होगा ,और पशुपालन विभाग से इसे नगरपालिका को लेना होगा और यह कार्य ज़िले के राजनेता ही करसकते है । पिछले 20 सालो में कोंग्रेस और भाजपा दोनों की दो दो बार सरकार और दो बार राज्य की मुखिया स्वयम झालावाड के झालरापाटन से निर्वाचित बिधायक है परन्तु किसी भी दल द्वारा सांस्कृतिक धरोहर की उपेक्षा आश्चर्य की बात है ,????